एक और साल की विदाई और एक नये साल की शुरुआत यानी एक नये आशावाद की लहर जो हर खास ओ आम को अपने साथ बहा ले चली हैा आम आदमी को आशा कुछ ऐसा पाने की जो पिछले साल खोने के गम को दूर कर देा खास लोगों को आशा जो मिला है उससे बेहतर मिलने कीा व्यापारियों को आशा नये साल के उत्सव में बढिया दुकानदारी की, ग्राहकों को आशा इस बार प्रियजनों को हर बार से अलग अनोखा तोहफा देने पर उनकी आश्चर्यमिश्रित प्रशंसा पाने कीा
कुल मिलाकर हर नया साल अपने साथ ऐसी आशावाद की लहर लाता हैा यह बात अलग है कि यह लहर जितनी तेजी से आती है उतनी ही तेजी से शान्त भी हो जाती है और सब कुछ सामान्य सा चलने लगता हैा फिर अगर कहीं साल की शुरुआत में ही कोई बडी दुर्घटना या हादसा हो जाये तो आशावाद का बुखार तुरन्त ही उतर जाता है और लोग नये साल को गालियां देने लग जाते हैं, ''कमबख्त यह साल मनहूस लग रहा हैा पता नहीं क्या क्या होगा इस सालं''
वैसे यह आशावाद की लहर क्रिसमस से ही शुरू हो जाती हैा नये साल के लिए इसे तैयार नहीं करना पड़ता क्योंकि क्रिसमस से ही लोग बाग जश्न के मूड में होते हैंा हां जो क्रिसमस नहीं मनाते उन्हें जरूर नये साल की अलग से तैयारी करनी पड्ती हैा क्रिसमसाये लोगों के लिए तो यह आर्थिक रूप से दोहरे खर्च का समय होता हैा लेकिन दुकानदारों के लिए तो यह उत्सव ही उत्सव का मौसम हैा उन्हें दुकानदारी के लिए किसी धार्मिक बन्धन में पड़ने की आवश्यकता नहीं हैा वे चाहे क्रिसमस के ग्रीटिंग बेचें या नये साल के, कमाई तो होनी ही हैा
नये नये आशावाद के चक्कर में हर साल लोग नया रिसॉल्वूयशन लेते हैं कि इस साल यह करूँगा, वो करूँगा, लेकिन ऐसा करते करते कितने सालों के रिसॉल्यूशन पेंडिंग हो जाते हैं और हम कुछ नहीं कर पातेा
दरअसल हर साल एक पन्ने के समान हैा यह ठीक एक उपन्यास पढ्ने के समान है जिसमें किसी पन्ने पर रोमांच, कहीं हास्य, कहीं करुणा, कहीं आक्रोश मिलता हैा उसी तरह हर गुजरता साल अपने आपमें एक कहानी, एक इतिहास समेट कर जाता हैा लेकिन यह पता नहीं कि आने वाले पन्ने पर क्या हैा इसलिये आने वाला साल अपने आप में एक रहस्य समेटे होता है और जैसे जैसे यह रहस्य खुलता जाता है हम इसके आदी होते जाते हैंा
मैं नये साल रिसॉल्वूयशन में यकीन नहीं रखता अलबत्ता नये साल की बधाइयां जरूर देता और लेता हूँा पहले ग्रीटिंग कार्ड के माध्यम से बधाइयों का लेन देन होता था, फिर टेलीफोन और अब मोबाइल और इमेल के जरिये होता हैा छुटपन से लेकर स्कूल कालेज के दिनों तक ग्रीटिंग कार्ड
का जबरदस्त क्रेज रहा करता थाा लेकिन अब मोबाइल और फोन से ही बधाइयां लेता देता हूँा सहकर्मियों से तो कार्यालय में ही मिलना मिलाना हो जाता हैा नये साल में वेसे तो मैं औपचारिक तौर पर कोई पार्टी वगैरह में नहीं जाता न ही कोई पार्टी करता हूँा हॉं घर के सदस्यों के बीच ही कोई छोटा मोटा प्रोग्राम तय हो जाये तो बस आपस ही में इन्ज्वाय कर लेते हैंा यही है मेरा छोटा-मोटा हल्का-फुल्का आशावाद;
3 टिप्पणियां:
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बेहतरीन लेख।
Happy new year !
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धन्यवाद दिव्या जी एवं आपको भी नव वर्ष की शुभकामनायेंा
मौर्या जी , साल तो ऐसे ही पन्नों की तरह बदलते रहेंगें . अगले साल का शायद हम फिर इसी तरह इस साल को कोसते हुए इंतजार कारें.... इसलिए अति आशावादी भी नहीं होना चाहिए . बस उम्मीद हो की जो हो अच्छा हो .बहुत ही अच्छी प्रस्तुति....
सृजन -शिखर पर - नये वर्ष की शुभकामनाये.
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