रविवार, 19 जून 2011

गर्मी की छुट्टियां - कविता



गर्मी की छुट्टियां चल रहीं।
तन-मन में मस्‍ती मचल रही।
धमा-चौकड़ी करते दिन भर।
डॉट बड़ों की रहे बेअसर।
लूडो, कैरम, आई-स्‍पाई।
हॅसना, रोना, हाथापाई।
बैट-बॉल का नम्‍बर आया।
चौका-छक्‍का खूब जमाया।
पॉंच मिनट का ब्रेक लिया है।
तब ऑरेन्‍जी जूस पिया है।
खेल शुरू होगा दोबारा।
चाहे जितना तेज हो पारा।


6 टिप्‍पणियां:

Kunwar Kusumesh ने कहा…

अच्छी बाल कविता .

kshama ने कहा…

Bahut hee sundar!

Urmi ने कहा…

आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://urmi-z-unique.blogspot.com/
http://amazing-shot.blogspot.com
बहुत सुन्दर और प्यारी कविता लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

मजेदार है कविता....बहुत प्यारी फोटो

Patali-The-Village ने कहा…

अच्छी बाल कविता|

अनूप शुक्ल ने कहा…

वाह! बरसात में गर्मीं की कविता पढ़ना भी मजेदार अनुभव है।