गर्मी की छुट्टियां चल रहीं।
तन-मन में मस्ती मचल रही।
धमा-चौकड़ी करते दिन भर।
डॉट बड़ों की रहे बेअसर।
लूडो, कैरम, आई-स्पाई।
हॅसना, रोना, हाथापाई।
बैट-बॉल का नम्बर आया।
चौका-छक्का खूब जमाया।
पॉंच मिनट का ब्रेक लिया है।
तब ऑरेन्जी जूस पिया है।
खेल शुरू होगा दोबारा।
चाहे जितना तेज हो पारा।
6 टिप्पणियां:
अच्छी बाल कविता .
Bahut hee sundar!
आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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बहुत सुन्दर और प्यारी कविता लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
मजेदार है कविता....बहुत प्यारी फोटो
अच्छी बाल कविता|
वाह! बरसात में गर्मीं की कविता पढ़ना भी मजेदार अनुभव है।
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