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रविवार, 12 दिसंबर 2010

सूचनाधिकार कानून (RTI) में बदलाव - कितना सही कितना गलत

यदि आप सूचनाधिकार कानून के तहत आवेदन भेजकर बेहिसाब या अनाप शनाप प्रश्‍न पूछते रहते हैं तो यह खबर आपके लिए हैा अब केन्‍द्र सरकार सूचनाधिकार कानून में परिवर्तन हेतु ऐसा मसौदा ला रही है जिसके तहत सूचनाधिकार के एक आवेदन में पूछे जाने वाले विषय एवं प्रश्‍नों की संख्‍या की अधिकतम सीमा निर्धारित करने का प्रस्‍ताव हैा

मसौदे के अनुसार एक आवेदन में केवल एक ही विषय से संबंधित प्रश्‍न पूछा जा सकेगा और उसकी अधिकतम सीमा 250 शब्‍द होगीा इस शब्‍द सीमा में जनसूचनाधिकारी का पता एवं आवेदक का पता सम्मिलित नहीं होगाा यदि इस मसौदे को ज्‍यों का त्‍यों स्‍वीकार कर लिया जाता है तो आवेदक को अलग अलग विषयों पर सूचना मांगने के लिए अलग अलग आवेदन करने पडेंगे.  कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत एवं पेंशन मामलों के मंत्रालय द्वारा अधिसूचित इस मसौदे के आने के बाद एक देश व्‍यापी बहस शुरू हो गई हैा सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह मसौदा मूल सूचनाधिकार अधिनियम, 2005 की आत्‍मा के विरुद्ध है और एक नागरिक के सूचना प्राप्‍त करने के अधिकार में बाधक हैा

वहीं दूसरी ओर सरकार का कहना है कि कई लोगों द्वारा सूचनाधिकार कानून का दुरुपयोग किया जा रहा हैा अनावश्‍यक और बेहिसाब प्रश्‍न पूछकर जो सूचनायें मांगी जा रही हैं उनसे सरकारी मशीनरी का समय बर्बाद हो रहा है जिस पर नियंत्रण करना जरूरी हैा

यह मसौदा ज्‍यों का त्‍यों स्‍वीक़त होता है या कुछ परिवर्तनों के साथ, यह तो समय ही बतायेगा, लेकिन ऐसा लगता है कि कांग्रेस सरकार अपने ही बनाये गये सूचनाधिकार कानून की तपिश जरूर महसूस कर रही है जिसकी वजह से उसे यह मसौदा लाने के लिए मजबूर होना पडा है.