भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 को हुए युद्ध के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस युद्ध को जहॉं राजनेताओं के सही-गलत फैसलों के लिए याद किया जाता है वहीं सैनिकों की व्यक्तिगत और सामूहिक क्षमता के लिए भी। इस युद्ध से भारतीय सैनिकों ने यह भी साबित किया कि हमेशा केवल भारी भरकम हथियारों से ही जंग नहीं जीती जाती, उसके लिए सही रणनीति और युद्ध का जोश और जज़्बा होना भी जरूरी है।
इस युद्ध की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर नई दिल्ली में राजपथ पर 15 से 20 सितम्बर, 2015 तक एक सैन्य प्रदर्शनी 'शौर्यांजलि' का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी का समय सुबह 9:00 बजे से रात 9:00 बजे तक है और इसमें आम जनता के लिए प्रवेश नि:शुल्क है। यह अपने तरह का एक अनोखा आयोजन है और इसका एहसास मुझे इस प्रदर्शनी को देखने के बाद हुआ।
प्रदर्शनी में भारत-पाक युद्ध से जुड़े हथियारों, टैंक, विमानों आदि का प्रदर्शन तो किया ही गया है साथ ही पाकिस्तानी सेना से ज़ब्त किये गये टैंक और हथियारों को दर्शाया गया है। युद्ध में अद्भुत वीरता प्रदर्शित कर पदक प्राप्त करने वाले वीरों के फोटो भी जहॉं एक ओर प्रदर्शित हैं, वहीं सेना की मेडिकल कोर के बाँकुरे जिन्होंने असंख्य सैनिकों को पुनर्जीवित कर उन्हें दोबारा लड़ने के काबिल बनाया और खुद इस युद्ध में शहीद हो गये, उनके नाम एवं चित्र भी दिखाये गये हैं। विभिन्न्ा युद्धपोतों, विमानों, टैंकों के मॉडल तथा असली विमान, टैंक आदि सभी कुछ यहॉं देखा जा सकता है। प्रदर्शनी की कुछ झलकियॉं मैनें भी अपने मोबाइल कैमरे में कैद कीं जिन्हें आप नीचे देख सकते हैं-
1965 युद्ध का स्वर्ण जयन्ती प्रतीक चिन्ह |
सोवियत यूनियन से खरीदे गये भारत के पी.टी. 76 टैंक आप नीचे देख सकते हैं-
यूनाइटेड किंगडम से लिये गये भारत के सेंचुरियन टैंक पर नज़र डालिये -
सेंचुरियन टैंक |
प्रदर्शनी हॉल में अपने सहकर्मियों के साथ -
घात लगाकर छिपे हुए सैनिक का पुतला |
प्रदर्शनी हॉल में दिखाये गये विमानों की प्रतिकृतियों के बीच में -
टी-54 टैंक पर बैठकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ -
और ये देखिये भारतीय सेना की विजय का सबसे बड़ा सबूत पाकिस्तान से ज़ब्त किये गये पैटन टैंक -
पाकिस्तानी पैटन टैंक का गोला -
भारतीय सेना द्वारा लाहौर पर कब्ज़ा करने पर वहॉं से लाया गया मील का पत्थर -
हाजी पीर के पहाड़ी इलाके का मॉडल-
पंजाब के मैदानी इलाके का मॉडल -
भारतीयों की वीरता और साहस का प्रतीक भारतीय सैनिक -
इस प्रदर्शनी में आकर मुझे भारतीय सेना को और करीब से जानने का मौका मिला। अपनी भावी पीढ़ी को अपने देश के सामरिक इतिहास से परिचित कराने के लिए समय-समय पर ऐसी ही प्रदर्शनियों और कार्यक्रमों की आवश्यकता है। आप भी इस प्रदर्शनी में आएं और भारतीय सेना के बलिदान की गाथा देखें, सुनें और गौरवान्वित अनुभव करें।