हाल ही में घुघूतिबसुती ब्लॉग पर 'जापानी चरित्र' नाम से एक पोस्ट पढ़ी थी. इसे पढ़कर जापान के लोगों से बहुत प्रभावित हुआ. इसी बीच मुझे अपने एक सहकर्मी से एक ईमेल मिली जापानियों के बारे में. इसे पढ़ कर पता चला कि कैसे अपने चारित्रिक गुणों और कुशल प्रबंधन के बल पर जापानियों ने सुनामी जैसी भीषण आपदा का सामना किया. ईमेल अंग्रेजी में था जिसका मैंने नीचे हिंदी में अनुवाद किया है. इसे पढ़ कर हम सबको प्रेरणा लेने की ज़रुरत है.
"जापान से सीखने लायक १० बातें
१- शान्ति
छाती पीटने या बुक्का फाड़ कर रोने का सामान्यतः कोई दृश्य नहीं. दुःख में भी एक गरिमामय शान्ति.
"जापान से सीखने लायक १० बातें
१- शान्ति
छाती पीटने या बुक्का फाड़ कर रोने का सामान्यतः कोई दृश्य नहीं. दुःख में भी एक गरिमामय शान्ति.
२-गरिमा
पानी और घरेलू सामानों इत्यादि की खरीदारी के लिए अनुशासित कतारें. कोई अपशब्द या गरमा-गर्मी नहीं.
३- क्षमता
कुशल आर्किटेक्चर के कारण बहुत सी इमारतें ऐसी थी जो हिली, पर गिरी नहीं, जैसी कि आशंका थी.
४- शिष्टता
लोग उतनी ही चीज़ें खरीद रहे हैं जितनी तुरंत ज़रुरत है, ताकि हर किसी को कुछ न कुछ मिल सके.
५. व्यवस्था
दुकानों में कोई लूट पाट नहीं. सड़कों पर होर्न या आप धापी का अनावश्क शोर नहीं.
६. त्याग
परमाणु संयंत्र को ठंडा करने के लिए समुद्र का पानी संयंत्र तक पहुँचाने के लिए ५० कर्मचारी जान की बाज़ी लगा कर डटे रहे.
७. उदारता
तमाम रेस्टोरेंट्स ने अपनी कीमतें कम कर दीं. एक गार्ड रहित ए टी एम सुरक्षित पड़ा रहा. हर मज़बूत आदमी ने कमजोरों की मदद करने की कोशिश की.
८. प्रशिक्षण
बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी को पता था कि प्राकृतिक आपदा के समय क्या करना चाहिए और उन्होंने वही किया.
९. मीडिया
गजब का संयम. कोई मूर्खतापूर्ण रिपोर्टिंग या उतावलापन नहीं.
१०. विवेक
एक डिपार्टमेंटल स्टोर में जब बिजली चली गयी तो सभी ग्राहक चुपचाप सारी चीज़ें शेल्फ पर रख कर बाहर आ गए.
कृपया इसे हर भारतीय को जिसे आप जानते हैं, उसे पढवाएं. कम से कम कुछ लोग तो इस पर अमल करेंगे."
पानी और घरेलू सामानों इत्यादि की खरीदारी के लिए अनुशासित कतारें. कोई अपशब्द या गरमा-गर्मी नहीं.
३- क्षमता
कुशल आर्किटेक्चर के कारण बहुत सी इमारतें ऐसी थी जो हिली, पर गिरी नहीं, जैसी कि आशंका थी.
४- शिष्टता
लोग उतनी ही चीज़ें खरीद रहे हैं जितनी तुरंत ज़रुरत है, ताकि हर किसी को कुछ न कुछ मिल सके.
५. व्यवस्था
दुकानों में कोई लूट पाट नहीं. सड़कों पर होर्न या आप धापी का अनावश्क शोर नहीं.
६. त्याग
परमाणु संयंत्र को ठंडा करने के लिए समुद्र का पानी संयंत्र तक पहुँचाने के लिए ५० कर्मचारी जान की बाज़ी लगा कर डटे रहे.
७. उदारता
तमाम रेस्टोरेंट्स ने अपनी कीमतें कम कर दीं. एक गार्ड रहित ए टी एम सुरक्षित पड़ा रहा. हर मज़बूत आदमी ने कमजोरों की मदद करने की कोशिश की.
८. प्रशिक्षण
बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी को पता था कि प्राकृतिक आपदा के समय क्या करना चाहिए और उन्होंने वही किया.
९. मीडिया
गजब का संयम. कोई मूर्खतापूर्ण रिपोर्टिंग या उतावलापन नहीं.
१०. विवेक
एक डिपार्टमेंटल स्टोर में जब बिजली चली गयी तो सभी ग्राहक चुपचाप सारी चीज़ें शेल्फ पर रख कर बाहर आ गए.
कृपया इसे हर भारतीय को जिसे आप जानते हैं, उसे पढवाएं. कम से कम कुछ लोग तो इस पर अमल करेंगे."