मंगलवार, 3 मई 2011

मजाक

एक बार दो दोस्‍त टहलते हुए कहीं जा रहे थे। रास्‍ते में उन्‍होंने एक घास काटने वाले को घास काटते हुए देखा। उस घसियारे के जूते एक पेड़ के नीचे रखे हुए थे। यह देखकर एक दोस्‍त ने दूसरे से कहा, ''मित्र, आओ हम इसके जूते कहीं छिपा दें। जब उसे जूते नहीं मिलेंगे तो वह परेशान होकर इधर-उधर ढूँढेगा, बड़ा मजा आयेगा।'' इस पर दूसरे दोस्‍त ने कहा, ''तुम एक धनवान के पुत्र हो। इसलिए तुम्‍हारा ऐसा व्‍यवहार उचित नहीं होगा। अगर तुम उस गरीब आदमी के साथ मजाक करना ही चाहते हो, तो चुपके से उसके दोनों जूतों में एक एक अशर्फी रख दो। जब वह उन्‍हें देखेगा, तो बहुत प्रसन्‍न होगा, और मन ही मन तुम्‍हें आशीर्वाद देगा।'' पहले दोस्‍त ने अपनी साथी की सलाह मान ली और वैसा ही किया। 

वास्‍तव में हमें किसी के साथ मजाक करते समय इस बात का ध्‍यान रखना चाहिए कि उसे किसी प्रकार  की तकलीफ या नुकसान न  हो वर्ना मज़ाक एक दुखद घटना में बदल जाता है.  

8 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

Baat to bilkul sahee hai!

Manvi ने कहा…

किसी के साथ मजाक करते समय हमें उस पर पड़ने वाले प्रभाव का भी पूर्वानुमान कर लेना चाहिए।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

घनश्‍याम भाई सही कहा आपने। वैसे लोग आमतौर से इस तरह का ख्‍याल नहीं रखते।

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समीरलाल की उड़नतश्‍तरी।
अंधविश्‍वास की शिकार महिलाऍं।

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

अच्छा संदेश दिया है....इस लेख के माध्यम से...आपने।
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

Kunwar Kusumesh ने कहा…

प्रेरक लघुकथा.अच्छी लगी.

SAJAN.AAWARA ने कहा…

SIR AGAR HUM KISI SE MJAK KARTE HE TO USSE KISI KA DIL NAHI DUKHNA CHAHIYE. . . . . .0JAI HIND JAI BHARAT

OM KASHYAP ने कहा…

mein sajan ji ki baat se sahamat hoon

ZEAL ने कहा…

Very inspiring story.