जिस तरह भारतीय बाजार में मध्यम वर्ग काे लुभाने के लिए कारों की कीमतों में कटौती करने और सस्ती से से सस्ती कीमत की कारें बनाने की होड़ लगी है, उसने आज सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिये हैं। भारत जैसे देश में जहॉं 'कितने की है' और 'कितना देती है' जैसे सवाल कार खरीदारों और निर्माताओं के लिए ज्यादा अहमियत रखते हैं, वहॉं यह आश्चर्य की बात नहीं है। मध्यम वर्ग के लिए सस्ती कारों की शुरुआत हुई मारुति 800 से। उसके बाद आई लखटकिया नैनो जो उम्मीद के मुताबिक बाजार में तहलका नहीं मचा सकी। फिर आई रेनो क्विड जिसने कॉस्ट कटिंग की नई हदों को छूते हुए इंजन के कुछ पार्टर्स भी प्लास्टिक से बना डाले। अब क्विड से मुकाबला करने के लिए एक और बेहद सस्ती कार डैटसन रेडी-गो बाजार में आने की तैयारी में है।
अभी हाल ही में यूरोपीय एनएसीपी के क्रैश टेस्ट में कई नामी भारतीय कारों को ज़ीरो रेटिंग मिलने से यह बहस फिर से जि़न्दा हो गई है कि भारतीय कारों में सुरक्षा के न्यूनतम मानक क्या होने चाहिये। कार निर्माताओं का कहना है कि वे भारत में भारतीय मानकों के अनुरूप ही गाडि़यां बना रहे है, इसलिए उनकी कोई गलती नहीं है। खरीदारों को मेन्टिनेन्स और माइलेज से मतलब है, सुरक्षा के बारे में वे भी परवाह नहीं करते। सुरक्षा के लिए वे कार में नींबू मिर्च डालकर काम चला लेते हैं। ऐसे में यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि कार निर्माण में सुरक्षा संबंधी मानकों को अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के समकक्ष लाया जाये। कम से कम सभी कारों में आगे की सीटों पर दो एयरबैग और एबीएस जैसे फीचर्स तो हर मॉडल में अनिवार्य कर दिये जाने चाहिये। लेकिन कार निर्माताओं को डर है कि कड़े सुरक्षा मानक अपनाने से कारों की निर्माण लागत बढ़ेगी और उनकी ब्रिकी पर असर पड़ेगा।
स्ड़क दुर्घटना में मरने वालों की संख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। इनमें भी अधिकांश दुर्घटनाएं कार सवार लोगों के साथ होती हैंं। ऐसे में यदि कार खरीदार, कार निर्माता और सरकार तीनों इस पर अपनी-अपनी तरफ से समुचित कदम उठायें तो इन दुर्घटनाओं की संख्या में कमी की जा सकती है।
4 टिप्पणियां:
धंधा तो चालना ही है कास बेचने वालों को ... जैसे मर्जी कमायें कौन सोचता है ..
जी हां, लेकिन यह भी सच है भारत में किसी कार की बिक्री का ग्राफ उसकी कीमत और फिर उसके milage से तय होता है।
जी हां, लेकिन यह भी सच है भारत में किसी कार की बिक्री का ग्राफ उसकी कीमत और फिर उसके milage से तय होता है।
महत्वपूर्ण विषय पर अच्छा विश्लेषण ।
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