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सोमवार, 30 मई 2011

बाल प्रतिभा

एक बार की बात है। एक विद्यालय के हिन्‍दी अध्‍यापक ने अपनी कक्षा के विद्यार्थियों को कुछ हिन्‍दी शब्‍द घर से लिखकर लाने को दिये। प्रत्‍येक शब्‍द को तीन-तीन बार लिखना था। उनमें से एक बालक बहुत मेधावी था। गृहकार्य करते समय उसने देखा कि एक शब्‍द 'सन्‍त' दिया हुआ है। उसने सोचा एक ही शब्‍द को तीन बार एक ही प्रकार लिखने से क्‍या लाभ। इसलिये उसने इस शब्‍द को तीन अलग-अलग प्रकार से लिखा - सन्‍त, संत, सन् त। 
अगले दिन कक्षाध्‍यापक ने जब उसकी अभ्‍यास पुस्तिका देखी तो उसे इसके लिए कसकर डांट लगाई और पहले वाले शब्‍द को सही मानकर बाकी दो शब्‍द काट दिये। स्‍वाभिमानी बालक प्रधानाचार्य के पास गया। उन्‍होंने सारी बात जानकर उस बच्‍चे को शाबाशी दी और कक्षाध्‍यापक को भविष्‍य में छात्रों को हतोत्‍साहित न करने की ताकीद की।

जानते हैं यह बालक कौन था? यह था बाल गंगाधर तिलक जो आगे चलकर देश का एक महान स्‍वतंत्रता सेनानी बना।