एक मुर्गा एक ऊँची मुंडेर पर बैठा हुआ था। वह खूब जोर से बॉंग दे रहा था। उसी समय एक लोमड़ी उधर से निकली। मुर्गे को देखते ही उसके मुँह में पानी भर आया। मुंडेर बहुत जर्जर थी, अत: वहॉं तक लोमड़ी का पहुँचना सम्भव नहीं था इसलिए वह उसको खाने की कोई दूसरी तरकीब सोचने लगी। उसने मुर्गे से कहा, ''मुर्गे भाई, क्या तुमने यह खबर सुनी है कि अब यह तय हो गया है कि कोई जानवर किसी दूसरे जानवर को नहीं खाएगा'?' मुर्गे ने कहा, ''मैनें तो यह खबर नहीं सुनी।'' इसी बीच शिकारी कुत्तों का एक झुण्ड दूर से आता दिखाई दिया। उनकी आहट पाते ही लोमड़ी भागने लगी। मुर्गे ने कहा, ''क्यों लोमड़ी बहन। भाग क्यों रही हो?अब तो कुत्ते तुम्हें नहीं खायेंगे!'' लोमड़ी यह कहते हुए भाग गयी कि शायद तुम्हारी तरह इन्होंने भी यह खबर नहीं सुनी हो।
धूर्त और चालाक व्यक्ति की बात का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए।