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शनिवार, 7 मई 2011

कितने सच्‍चे हैं अण्‍डे की पौष्टिकता के दावे ?

अण्‍डे की पौष्‍टकता के बारे में तो हमने कई बार डॉक्‍टरों से और टीवी विज्ञापनों के जरिये सुना होगा। बच्‍चों को बचपन से ही अण्‍डा खिलाने की सिफारिश की जाती है ताकि वे तंदुरुस्‍त बन सकें। लेकिन क्‍या अण्‍डा वास्‍तव में इतना पौष्टिक होता है जितना इसके बारे में दावा किया जाता है?

अभी हाल ही में स्‍वास्‍थ्‍य पत्रिका निरोगधाम का एक पुराना अंक मेरे हाथ लगा जिसमें अण्‍डे की पौष्टिकता के बारे में सवाल खड़े करते हुए इसके विपक्ष में कुछ वैज्ञानिक तर्क दिये गये हैं। अब मैं कोई डॉक्‍टर या वैज्ञानिक तो हूँ नहीं, जो इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि कर सकूँ, लेकिन मुझे लगा कि यह सवास्‍थ्‍य से संबंधित एक महत्‍वपूर्ण विषय है। इसलिए इसे अपने ब्‍लॉग पर पोस्‍ट कर रहा हूँ। नीचे दी गई जानकारी निरोगधाम पत्रिका के जनवरी, 1993 अंक से साभार उद्धृत है। 

"अण्‍डों के प्रशंसक और प्रचारक दावा करते हैं कि अण्‍डा खाद्य पदार्थों की तुलना में अधिक पौष्टिक और अधिक सस्‍ता होता है। उनके इस दावे में कितनी दम है इस‍की पोल खोलने के लिए हम नीचे एक चार्ट दे रहे हैं। इस चार्ट में आपको यह जानकारी मिल जाएगी कि 100 ग्राम अण्‍डे (दो अण्‍डे) और 100 ग्राम खाद्य पदार्थों में कौन-कौन पोषक तत्‍व कितनी मात्रा में पाये जाते हैं।


प्रति 100 ग्राम पदार्थ के खाद्य तत्‍व

पदार्थ का नाम
प्रोटीन
कार्बोहाइड्रेट
चर्बी
खनिज
ऊर्जा
गेहू
12.1
69.4
1.7
2.7
341
मूंग (दाल)
24.0
56.7
1.3
3.5
334
सोयाबीन
43.2
20.9
19.5
4.6
432
सींगदाना
26.2
26.7
39.8
2.5
570
दूध (गाय का)
3.2
4.4
4.1
0.8
67
दूध (भैंस का)
4.3
5.0
6.5
0.8
117
चना
24.0
59.6
1.1
3.2
347
चावल
13.5
48.4
16.2
6.6
393
पनीर
24.1
6.3
25.1
4.2
348
घी
-
-
100.0
-
900
मक्‍खन
-
-
81.0
2.5
729
अण्‍डा (दो)
13.3
-
13.33
1.0
173

आप ऊपर दिये गये चार्ट का अध्‍ययन कर लें और देख लें कि अण्‍डा पौष्टिक तत्‍वों और कैलोरीज के मामले में कितना कमजोर है। अब आप स्‍वयं फैसला कर लें। यह चाट्र हमने नेशनल इन्‍सटीट्यूट ऑफ न्‍यूट्रीशन, हैदराबाद द्वारा प्रकाशित Nutritive Value of Indian Food के आधार पर बनाकर प्रस्‍तुत किया है।"

इस विषय पर निरोगधाम पत्रिका में ही कुछ और तथ्‍यात्‍मक जानकारी ‘अण्‍डा–जहर ही जहर’ नामक पुस्‍तक के हवाले से दी गई है। यह पुस्‍तक डॉ0 नेमीचन्‍द जैन द्वारा लिखित और तीर्थकर शाकाहार प्रकोष्‍ठ प्रकाशन, 65, पत्रकार कालोनी, इन्‍दौर’ द्वारा प्रकाशित है। 

मेरा यह सूचना देने का मकसद अण्‍डाहार या अण्‍डा‍हारियों की  निन्‍दा करना नहीं है। मैं तो स्‍वयं इस बारे में और अधिक जानना चाहता हूँ। यदि आपमें से किसी के पास वैज्ञानिक जानकारी हो तो कृपया जरूर बतायें।