आज हिन्दी फिल्मों के मशहूर पार्श्व गायक मन्ना डे साहब का जन्म दिन है। उनके जन्म दिन पर उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं। मैं मन्ना दा के गानों को बचपन से बड़े चाव से सुनता रहा हूँ। वे मोहम्मद रफी की तरह वर्सेटाइल गायक थे। शायद उन्हीं की टक्कर के। सेमी-क्लासिकल गानों में तो उनका कोई जवाब ही नहीं था। फिल्म रानी रूपमती का 'उड़ जा भंवर माया कमल' और फिल्म तलाश का 'तेरे नैना तलाश करें जिसे' जैसे गानों को कौन भूल सकता है। लेकिन उन्होंने 'आओ ट्विस्ट करें' और 'ऐ भाई जरा देख के चलो' जैसे हल्के फुल्के गाने और 'यारी है ईमान मेरा' जैसी कव्वालियां भी गाईं। रफी साहब और मन्ना दा में अधिक फासला नहीं था लेकिन जैसा कि मन्ना दा ने स्वयं एक बार दूरदर्शन के एक इण्टरव्यू में कहा था, 'नम्बर वन बनने के लिए जो चाहिए था, वह शायद मुझमें नहीं था।' मन्ना दा को अपने कैरियर में अनेक सम्मान मिले। अभी हाल ही में उन्हें वर्ष 2008 के दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साल-डेढ़ साल पहले ही उनकी आत्मकथा 'मेमोरीज कम अलाइव' भी प्रकाशित होकर आई है।
यहॉं मैं मन्ना दा द्वारा गायी हुई एक गजल प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह फिल्म 'शायद' से है, जो सन 1979 में रिलीज हुई थी। फिल्म के संगीतकार थे मानस मुखर्जी जो आज के मशहूर पार्श्व गायक शान के पिता थे। यह गजल शायद आपमें से बहुतों ने नहीं सुनी होगी। सुनिये और आनन्द लीजिए-