दिलदार परिन्दा हूँ मैं जहाज़ नहीं हूँ.
जिन्दा हूँ अभी मौत का मोहताज नहीं हूँ.
करता हूँ हवाओं से मैं अठखेलियां जरूर,
लेकिन किसी सर्कस का कलाबाज़ नहीं हूँ.
है वक्त जो बहेलिया, मैं भी हूँ होशियार,
हालॉंकि उसकी चाल का हमराज नहीं हूँ.
ज़िन्दादिली का साज हूँ बजता हूँ बेधड़क,
मायूसियों भरी कोई आवाज़ नहीं हूँ.