सर्व-धर्म-समान तीरथ चाहिए।
ले चले सबको, वही पथ चाहिए।
भंग हो सकती तपस्याएँ कठिन,
अप्सरा या कोई मन्मथ चाहिए।
छोड़ देती कुन्तियाँ जब कर्ण को,
पालने वाला वो अधिरथ चाहिए।
हैं सुजाता, आम्रपाली आज भी,
भक्ति को कोई तथागत चाहिए।
हैं सभी व्याकुल यहाँ भूलोक में,
तारने वाला भगीरथ चाहिए.
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