अभी शाम को ऑफिस से घर आया ही था कि मॉं ने कहा कि बाजार चलना है, घर में सब्जी नहीं है। मैं थका हुआ था सो कह दिया, आप रिक्शे से जाकर ले आयें। खैर, मॉं चली गईं। सब्जी लेकर वापस घर आने पर उन्होंने एक ऐसी ऑंखों देखी घटना सुनाई जिसे सुनकर ताज्जुब भी हुआ और सोचने को मजबूर भी हो गया। मेरी मॉं जिस दुकान पर सब्जी ले रहीं थीं उसी दुकान पर उन्हीं की उम्र की एक महिला, यानी लगभग 55 साल की, सब्जी ले रही थी। उसने लौकी खरीद कर अपने थैले में रखी। महिला ठीक-ठाक घर की लग रहीं थीं। अचानक दुकानदार ने उनसे कहा, 'आपने एक बैंगन अपने थैले में क्यों रख लिया, आपने तो लौकी खरीदी है।'' इस पर वह महिला नाराज हो गई। मगर दुकानदार भी अड़ गया। उसने कहा कि अपना थैला उलटकर दिखाइये। मजबूरन महिला को अपना थैला उलटना पडा तो उसमें से लौकी के साथ एक हटटा कटटा गोल बैंगन भी धम्म से गिरा। दुकानदार बडबडाते हुए बोला, ''अभी इतनी महंगाई में ही आप जैसे लोग चोरी पर उतर आये हैं, थोड़ी और महंगाई बढ़ेगी, तब न जाने क्या करेंगे?'' महिला ने किसी प्रकार का विरोध प्रदर्शन नहीं किया. वह बैंगन उन्होंने ही चुराया था.
हाय रे महंगाई, न जाने यह क्या क्या गुल खिलायेगी।
4 टिप्पणियां:
विचारणीय....
बढती मेहेंगाई से त्रस्त हैं लोग।
सही बताऊं, मुझे तो अभी इस देश के लोगों की सहनशक्ति पर तरस आता है..
हालात कुछ करने को मजबूर कर देती है
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