आजकल हमारे आठ वर्षीय सुपुत्र एक नया जुमला फेंकते रहते हैं, 'मैं गॉड गिफ्टेड' हूँ। लेकिन आज सुबह उन्हें इसका सही जवाब मिला हमारी पॉंच वर्षीया पुत्री से। सुबह सुबह जब श्रीमान् जी स्कूल चलने को हुए तो अपना भारी बस्ता 'स्नैच' विधि से नहीं टांग सके बल्कि 'क्लीन एण्ड जर्क' का प्रयोग करना पड़ा वह भी दो बार, तब जाकर बस्ता उनकी पीठ पर आया। हमारी सुपुत्री ने कहा, 'बड़े गॉड गिफ्टेड बनते हो, एक बैग तक तो टॉंग नहीं पा रहे हो।' उसकी इस बात ने हमारे सुपुत्र को तो लाजवाब किया ही, हम भी हँसे बिना न रह सके।
वास्तव में आजकल बच्चों पर बस्ते का बोझ इतना बढ़ता जा रहा है कि कम उम्र में ही उन्हें तरह तरह की शारीरिक समस्याएं होने लगी हैं। ऐसे में तो वाकई उन्हें किसी गॉड गिफ्ट की जरूरत है।
वास्तव में आजकल बच्चों पर बस्ते का बोझ इतना बढ़ता जा रहा है कि कम उम्र में ही उन्हें तरह तरह की शारीरिक समस्याएं होने लगी हैं। ऐसे में तो वाकई उन्हें किसी गॉड गिफ्ट की जरूरत है।
1 टिप्पणी:
सटीक बात कही बेटी ने।
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