जैसा कि मेरे प्रोफाइल से आप जान सकते हैं, मैं अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन अर्थात् Research Designs & Standards Organisation (RDSO) में कार्यरत हूँ । यह रेलवे का एक महत्वपूर्ण संगठन है। अ.अ.मा.सं. का हरा-भरा सुरम्य परिसर लगभग ४०० एकड़ के क्षेत्र में फैला है, जिसमें कार्यालय एवं आवासीय भवन, रेलवे अस्पताल, बैंक, डाकघर, विद्यालय, शापिंग सेन्टर इत्यादि सम्मिलित हैं। परिसर में आपको जैसी हरियाली देखने को मिलेगी वैसी आपको लखनऊ शहर में छावनी एरिया के अलावा शायद ही कहीं और देखने को मिले।
लेकिन मेरा इस पोस्ट को लिखने का मकसद अ.अ.मा.सं. के कार्यक्षेत्र के बारे में बताना नहीं है। बल्कि मैं तो यह बताना चाहता हूँ कि हाल ही अ.अ.मा.सं. परिसर में नये आडिटोरियम के निकट एक झील पार्क विकसित किया गया है। पार्क के निर्माण का उद्दे’य अ.अ.मा.सं. के लोगों हेतु ऐसे नैसर्गिक वातावरण का सृजन करना है जहॉं आकर लोग आमोद-प्रमोद के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त कर सकें। उक्त स्थान पेड़ों और झाड़ियों से भरा पड़ा थां और बियाबान जंगल सा प्रतीत होता था। इस झील पार्क के बारे में सबसे खास बात यह है कि झील का निर्माण करने में किसी भी पेड़ को काटा नहीं गया है। इसके लिए झील का निर्माण इस प्रकार किया गया कि वह अमीबा की आकृति की दिखाई देती है जो अनायास ही सुन्दर बन जाने वाली कृति है।
इस झील पार्क में पैदल टहलने के लिए पाथ-वे, बच्चों के लिए झूले, पार्क में पुष्पीय और औषधीय पौधे इत्यादि लगाये गये हैं। शीघ्र ही झील में बोटिंग की व्यवस्था भी की जा रही है और एक कैफेटेरिया भी खुलने वाला है। झील में एक तैरता फौव्वारा भी लगाया गया है। झील के सौन्दर्य में वृद्धि करने तथा प्राकृतिक वातावरण का जीवन्त आभास प्रदान करने हेतु झील में १६ बतखों की भी व्यवस्था की गयी है। इसके लिए झील के बीच में एक बतख घर भी बनाया गया है।
इस झील पार्क को अभी केवल अ.अ.मा.सं. परिसर के निवासियों के लिए खोला गया है। लेकिन शीघ्र ही इसे बाहरी लोगांे के लिए भी खोल दिया जायेगा।
इसलिए जब कभी लखनऊ के इस इलाके में आएं तो झील पार्क में घूमना न भूलें। फिलहाल आप नीचे स्लाइडशो में कैद झील पार्क की झलक तो देख ही सकते हैं।