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रविवार, 20 नवंबर 2011

बाल दिवस मेला

13 नवम्‍बर, दिन  रविवार। मैं घर में बैठा आराम से अखबार पढ़ रहा था कि मेरा मोबाइल बज उठा। कॉल अटैण्‍ड की तो पता चला कि मेरे तीन वर्षीय बेटे तेजस की स्‍कूल टीचर का फोन है। फोन पर जो उन्‍होंने रिमाइण्‍डर दिया वह मुझे पहले से ही पता था क्‍योंकि मेरे बेटे की स्‍कूल डायरी में पहले ही मैसेज लिखकर आ चुका था। 14 नवम्‍बर को मेरे बेटे के स्‍कूल जिसका नाम Buds International, Rajajipuram, Lucknow में बाल दिवस के अवसर पर एक छोटे से मेले का आयोजन किया गया था। सभी बच्‍चों के अभिभावकों से गुजारिश थी कि अपने बच्‍चों के साथ आयें और मेले का आनन्‍द लें। उस दिन कोई क्‍लॉस नहीं होनी थी।  चूँकि 14 नवम्‍बर को मेरा दफ्तर था इसलिये मैं तो स्‍कूल नहीं जा सका, लेकिन यह जिम्‍मेदारी श्रीमती जी के सुपुर्द कर दी और साथ ही ताकीद भी की कि बच्‍चे को कोई नुकसानदेह चीज न खिलायें क्‍योंकि अभी कुछ ही दिन हुए उसकी तबीयत सही हुई थी। मेरी श्रीमती जी ने नाक भौं सिकोड़ते हुए (क्‍योंकि उनका मानना था कि यह जिम्‍मेदारी मेरी थी उनकी नहीं, लेकिन मैनें तो मजबूरी वश यह पावर उनको डेलीगेट कर दिया था), इस काम के लिये हामी भर ली। खैर, मेले में मॉं-बेटे दोनों ने खूब एन्‍ज्‍वाय किया। यहॉं तक कि श्रीमती जी की सारी शिकायत भी दूर हो गयी। लौटकर उन्‍होंने बताया कि बच्‍चों संग समय तो अच्‍छा बीता। आइये आपको भी सैर कराते हैं इस मेले की, चंद तस्‍वीरों के जरिये जो श्रीमती जी ने अपने मोबाइल कैमरे से ली थीं-

तेजस (लाल स्‍वेटर में) ट्रेन की सवारी करते हुए
बग्‍घी की सवारी का आनन्‍द लेते बच्‍चों के बीच तेजस 
मेरी-गो-राउण्‍ड में ऊपर बैठा हुआ तेजस लाल स्‍वेटर में 
बन्‍दूक से गुब्‍बारा फोड़ते हुए तेजस- कुछ  फूटे, कुछ नहीं

मिट्टी में छिपे खिलौने ढूढने की कोशिश में तेजस   


तेजस ने खरीदा इन्‍फ्लैटेबल टाइगर 
बच्‍चों संग मेले में आनन्‍द उठाते अभिभावक 

रविवार, 30 जनवरी 2011

राष्‍ट्रीय वनस्‍पति अनुसंधान संस्‍थान (NBRI), लखनऊ की गुलाब एवं ग्‍लैडिओलस प्रदर्शनी

हमारे शहर  लखनऊ में घूमने की कई जगहें हैं। पुराना लखनऊ हो या नया शहर, पारम्‍परिक संस्‍क़ति से लेकर आधुनिकता का रंग सभी आपको यहॉं देखने को मिल जायेंगेा प्रदेश सरकार की मेहरबानी से हर महीने-दो महीने बाद या तो लखनऊ में किसी पुरानी चीज का कलेवर बदला जाता है या नई जगह का सौन्‍दर्यीकरण किया जाता हैा प्रदेश की राजधानी होने के कारण यहॉं राजनीति कार्यक्रम तो होते ही रहते हैं, उसके अलावा तमाम महत्‍वपूर्ण संस्‍थानों द्वारा आयोजित मेले, प्रदर्शनियां आदि भी आकर्षण का केन्‍द्र होते हैं।

अभी राष्‍ट्रीय वनस्‍पति अनुसंधान संस्‍थान (NBRI), लखनऊ द्वारा 22 और 23 जनवरी को गुलाब एवं ग्‍लैडिओलस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। NBRI द्वारा  प्रतिवर्ष सितम्‍बर में कोलियस शो एवं जनवरी में गुलाब एवं ग्‍लैडिओलस शो आयोजित किया जाता हैा

चूँकि मैं एक प्रक़ति प्रेमी हूँ इसलिए ऐसे मौकों को हाथ से नहीं जाने देता। NBRI एवं राजभवन में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली पुष्‍प एवं शाकभाजी की प्रदर्शनियों में नियमित रूप से जाता रहता हूँ। लेकिन इस बार एक और कारण भी था प्रदर्शनी में जाने का दरअसल मेरा पुराना कैमरा खराब हो गया था और मैनें हाल ही में नया कैमरा खरीदा हैा सो अपने नये कैमरे को आजमाने का भी यह अच्‍छा मौका था। बस फिर क्‍या था, अपने प्रक़ति प्रेम के वशीभूत होकर और फोटो खिंचास का भूत सवार होने पर मैं रविवार को NBRI पहुँच गया रंग बिरंगे फलों की झलक पाने और उनकी खुशबू लेने ।  प्रदशर्नी के फूलों की कुछ झलकियां आपके लिये भी लाया हूँ-





















यदि आप प्रक़ति प्रेमी हैं तो ऐसी प्रदर्शनियों में जाने के कई फायदे हो सकते हैं। रंग-बिरंगे दुर्लभ प्रजाति के फूलों को देखने का मौका तो मिलेगा ही, साथ ही प्रदर्शनी में लगे तमाम स्‍टालों पर आपको वनस्‍पतियों के बारे में प्रकाशित सामग्री, बागवानी से संबंधित औजार, तरह-तरह की खाद, जडी-बूटियों के पौधे और औषधियां वगैरह भी मिल सकती हैं।

एक स्‍टाल नजर आया प्रतापगढ् का ऑवले के उत्‍पादों का। उत्‍तर प्रदेश में प्रतापगढ् का क्षेत्र ऑंवला उत्‍पादन के लिए प्रसिद्ध है। लखनऊ में आयोजित हर प्रदर्शन और मेले में आपको प्रतापगढ के ऑंवले उत्‍पादों के स्‍टाल जरूर मिलेंगे। ऑंवले की बर्फी, टॉफी, अचार, रस, शैम्‍पू, दवाइयां आदि सभी मिलेंगे। प्रतापगढ़ में कई कुटीर एवं लघु उद्योग इसी काम में लगे हुए हैं

घर की क्‍यारियों, बाल्‍कनी और किचन गार्डन के लिए पौधे वगैरह लेने के लिए भी स्‍टाल था यहां-


लॉन की घास काटने के आधुनिक उपकरणों को देखने-जानने वालों के लिए यह स्‍टाल भी था-



बागवानी से संबंधित तमाम प्रकाशित सामग्री चाहने वालों की भीड़ जुटी थी इस स्‍टाल पर-

चिनहट के चीनी मिटटी के बर्तन भी थे यहॉं। एक पुष्‍प प्रदर्शनी में चीनी मिटटी के बर्तनों का स्‍टाल सुनने और देखने में अजीब लग सकता है लेकिन चिनहट के नाम से परिचित लोगों के लिए यह अजीब नहीं। दरअसल चिनहट, लखनऊ में फैजाबाद रोड पर स्थित इलाका है जहॉं चीनी मिटटी के बर्तनों और खिलौनों का उद्योग चलता है। कहते हैं इसी उद्योग के कारण इस स्‍थान का नाम 'चीनी हाट' पडा जो बाद में बिगडकर चिनहट हो गया। एक समय यह उद्योग इतना सम़ृद्ध था कि खुर्जा की पॉटरी को टक्‍कर देने की स्थिति में था लेकिन सरकारी संरक्षण न मिलने के कारण आज यह उद्योग दयनीय हालत में है। मेलों और प्रदर्शनियों में चिनहट का यह उद्योग अपनी मौजूदगी का एहसास जरूर कराता रहता है। मगर सरकार ने इसे उबारने के प्रयास नहीं किये तो लखनऊ की यह कला जल्‍द ही खत्‍म हो जायेगी।


घूमने आया था तो लगे हाथ संस्‍थान में स्थित कैक्‍टस हाउस की तस्‍वीर भी खींच ली। आप कहहेंगे कि गुलाब और ग्‍लैडिओलस के साथ कैक्‍टस का क्‍या काम। लेकिन कैक्‍टस बड़े जीवट वाली वनस्‍पति है। यह वहां उगती है जहां सारी वनस्‍पतियां दम तोड़ देती हैं। इसकी जिजीविषा से हमें भी प्रेरणा लेनी चाहिए-


फूल पौधों के बीच परिवार संग छुटटी बिताने का मजा आ गया। मैं हमेशा ऐसे मौकों की तलाश में रहता हूँ। अगले महीने यानी फरवरी की 19 और 20 तारीख को लखनऊ में राजभवन में पुष्‍प एवं शाकभाजी प्रदर्शनी लग रही है। भई मैं तो जरूर जाउंगा देखने। फिक्र न करें, आप तक भी पहुचाउंगा उसकी झलकियां।

गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

लखनऊ में एक और सैरगाह

जैसा कि मेरे प्रोफाइल से आप जान सकते हैं, मैं अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन अर्थात् Research Designs & Standards Organisation (RDSO) में कार्यरत हूँ  । यह रेलवे का एक महत्वपूर्ण संगठन है। अ.अ.मा.सं. का हरा-भरा सुरम्य परिसर लगभग ४०० एकड़ के क्षेत्र में फैला है, जिसमें कार्यालय एवं आवासीय भवन, रेलवे अस्पताल, बैंक, डाकघर, विद्यालय, शापिंग सेन्टर इत्यादि सम्मिलित हैं। परिसर में आपको जैसी हरियाली देखने को मिलेगी वैसी आपको लखनऊ शहर में छावनी एरिया के अलावा शायद ही कहीं और देखने को मिले।


लेकिन मेरा इस पोस्ट को लिखने का मकसद अ.अ.मा.सं. के कार्यक्षेत्र के बारे में बताना नहीं है। बल्कि मैं तो यह बताना चाहता हूँ कि हाल ही अ.अ.मा.सं. परिसर में नये आडिटोरियम के निकट एक झील पार्क विकसित किया गया है। पार्क के निर्माण का उद्दे’य अ.अ.मा.सं. के लोगों हेतु ऐसे नैसर्गिक वातावरण का सृजन करना है जहॉं आकर लोग आमोद-प्रमोद के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त कर सकें। उक्त स्थान पेड़ों और झाड़ियों से भरा पड़ा थां और बियाबान जंगल सा प्रतीत होता था। इस झील पार्क के बारे में सबसे खास बात यह है कि झील का निर्माण करने में किसी भी पेड़ को काटा नहीं गया है। इसके लिए झील का निर्माण इस प्रकार किया गया कि वह अमीबा की आकृति की दिखाई देती है जो अनायास ही सुन्दर बन जाने वाली कृति है।

इस झील पार्क में पैदल टहलने के लिए पाथ-वे, बच्चों के लिए झूले, पार्क में पुष्पीय और औषधीय पौधे इत्यादि लगाये गये हैं। शीघ्र ही झील में बोटिंग की व्यवस्था भी की जा रही है और एक कैफेटेरिया भी खुलने वाला है। झील में एक तैरता फौव्वारा भी लगाया गया है। झील के सौन्दर्य में वृद्धि करने तथा प्राकृतिक वातावरण का जीवन्त आभास प्रदान करने हेतु झील में १६ बतखों की भी व्यवस्था की गयी है। इसके लिए झील के बीच में एक बतख घर भी बनाया गया है।

इस झील पार्क को अभी केवल अ.अ.मा.सं. परिसर के निवासियों के लिए खोला गया है। लेकिन शीघ्र ही इसे बाहरी लोगांे के लिए भी खोल दिया जायेगा।

इसलिए जब कभी लखनऊ  के इस इलाके में आएं तो झील पार्क में घूमना न भूलें। फिलहाल आप नीचे स्लाइडशो  में कैद झील पार्क की झलक तो देख ही सकते हैं।


रविवार, 7 नवंबर 2010

मजेदार इबारतें

ट्रकों, बसों, और ऑटो के पीछे लिखी शेरो-शायरी, इबारतें वगैरह पढने का अलग ही मज़ा है। कई बार ऐसी नयी चीज़ पढने को मिल जाती है की आप वाह किये बिना नहीं रह सकते। आज ही कुछ काम से चारबाग जा रहा था। कि अपने आगे चाल रहे एक ऑटो के पीछे लिखी यह लाइन मुझे हंसा गयी -

'Capacity - 3 Idiots'

क्यूँ है न मज़ेदार इबारत।

- घनश्याम मौर्य

रविवार, 21 फ़रवरी 2010

राजभवन, लखनऊ में आयोजित पुष्प एवं शाकभाजी प्रदर्शनी


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कई दर्शनीय स्थल हैं। लखनऊ का निवासी होने के नाते मुझे इस बात पर गर्व है। यहाँ समय समय पर अनेक आयोजन एवं कार्यक्रम होते रहते हैं। विभिन्न विषयों पर संगोष्ठियाँ, महोत्सव, सेमिनार, मेले, प्रदर्शनी आदि का आयोजन होता रहता है।

राजभवन लखनऊ में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पुष्प एवं शाकभाजी प्रदर्शनी आयोजित की गयी थी। यह आयोजन २ दिनों के लिए था २० और २१ फरवरी। लखनऊ में NBRI और राजभवन की वार्षिक पुष्प प्रदर्शनियां प्रसिद्ध हैं। मैं नियमित रूप से इनमे जाया करता हूँ। आज ही मैं राजभवन की प्रदर्शनी घूम कर आया हूँ। थकावट उतारने के बाद कंप्यूटर पर बैठ कर यह ब्लॉग लिख रहा हूँ। प्रदर्शनी के कुछ फोटो जो मैंने अपने मोबाइल कैमरे से खींचे हैं उन्हें आपके साथ बांटना चाहता हूँ। ये फोटो आप नीचे देख सकते हैं।