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रविवार, 30 जनवरी 2011

राष्‍ट्रीय वनस्‍पति अनुसंधान संस्‍थान (NBRI), लखनऊ की गुलाब एवं ग्‍लैडिओलस प्रदर्शनी

हमारे शहर  लखनऊ में घूमने की कई जगहें हैं। पुराना लखनऊ हो या नया शहर, पारम्‍परिक संस्‍क़ति से लेकर आधुनिकता का रंग सभी आपको यहॉं देखने को मिल जायेंगेा प्रदेश सरकार की मेहरबानी से हर महीने-दो महीने बाद या तो लखनऊ में किसी पुरानी चीज का कलेवर बदला जाता है या नई जगह का सौन्‍दर्यीकरण किया जाता हैा प्रदेश की राजधानी होने के कारण यहॉं राजनीति कार्यक्रम तो होते ही रहते हैं, उसके अलावा तमाम महत्‍वपूर्ण संस्‍थानों द्वारा आयोजित मेले, प्रदर्शनियां आदि भी आकर्षण का केन्‍द्र होते हैं।

अभी राष्‍ट्रीय वनस्‍पति अनुसंधान संस्‍थान (NBRI), लखनऊ द्वारा 22 और 23 जनवरी को गुलाब एवं ग्‍लैडिओलस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। NBRI द्वारा  प्रतिवर्ष सितम्‍बर में कोलियस शो एवं जनवरी में गुलाब एवं ग्‍लैडिओलस शो आयोजित किया जाता हैा

चूँकि मैं एक प्रक़ति प्रेमी हूँ इसलिए ऐसे मौकों को हाथ से नहीं जाने देता। NBRI एवं राजभवन में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली पुष्‍प एवं शाकभाजी की प्रदर्शनियों में नियमित रूप से जाता रहता हूँ। लेकिन इस बार एक और कारण भी था प्रदर्शनी में जाने का दरअसल मेरा पुराना कैमरा खराब हो गया था और मैनें हाल ही में नया कैमरा खरीदा हैा सो अपने नये कैमरे को आजमाने का भी यह अच्‍छा मौका था। बस फिर क्‍या था, अपने प्रक़ति प्रेम के वशीभूत होकर और फोटो खिंचास का भूत सवार होने पर मैं रविवार को NBRI पहुँच गया रंग बिरंगे फलों की झलक पाने और उनकी खुशबू लेने ।  प्रदशर्नी के फूलों की कुछ झलकियां आपके लिये भी लाया हूँ-





















यदि आप प्रक़ति प्रेमी हैं तो ऐसी प्रदर्शनियों में जाने के कई फायदे हो सकते हैं। रंग-बिरंगे दुर्लभ प्रजाति के फूलों को देखने का मौका तो मिलेगा ही, साथ ही प्रदर्शनी में लगे तमाम स्‍टालों पर आपको वनस्‍पतियों के बारे में प्रकाशित सामग्री, बागवानी से संबंधित औजार, तरह-तरह की खाद, जडी-बूटियों के पौधे और औषधियां वगैरह भी मिल सकती हैं।

एक स्‍टाल नजर आया प्रतापगढ् का ऑवले के उत्‍पादों का। उत्‍तर प्रदेश में प्रतापगढ् का क्षेत्र ऑंवला उत्‍पादन के लिए प्रसिद्ध है। लखनऊ में आयोजित हर प्रदर्शन और मेले में आपको प्रतापगढ के ऑंवले उत्‍पादों के स्‍टाल जरूर मिलेंगे। ऑंवले की बर्फी, टॉफी, अचार, रस, शैम्‍पू, दवाइयां आदि सभी मिलेंगे। प्रतापगढ़ में कई कुटीर एवं लघु उद्योग इसी काम में लगे हुए हैं

घर की क्‍यारियों, बाल्‍कनी और किचन गार्डन के लिए पौधे वगैरह लेने के लिए भी स्‍टाल था यहां-


लॉन की घास काटने के आधुनिक उपकरणों को देखने-जानने वालों के लिए यह स्‍टाल भी था-



बागवानी से संबंधित तमाम प्रकाशित सामग्री चाहने वालों की भीड़ जुटी थी इस स्‍टाल पर-

चिनहट के चीनी मिटटी के बर्तन भी थे यहॉं। एक पुष्‍प प्रदर्शनी में चीनी मिटटी के बर्तनों का स्‍टाल सुनने और देखने में अजीब लग सकता है लेकिन चिनहट के नाम से परिचित लोगों के लिए यह अजीब नहीं। दरअसल चिनहट, लखनऊ में फैजाबाद रोड पर स्थित इलाका है जहॉं चीनी मिटटी के बर्तनों और खिलौनों का उद्योग चलता है। कहते हैं इसी उद्योग के कारण इस स्‍थान का नाम 'चीनी हाट' पडा जो बाद में बिगडकर चिनहट हो गया। एक समय यह उद्योग इतना सम़ृद्ध था कि खुर्जा की पॉटरी को टक्‍कर देने की स्थिति में था लेकिन सरकारी संरक्षण न मिलने के कारण आज यह उद्योग दयनीय हालत में है। मेलों और प्रदर्शनियों में चिनहट का यह उद्योग अपनी मौजूदगी का एहसास जरूर कराता रहता है। मगर सरकार ने इसे उबारने के प्रयास नहीं किये तो लखनऊ की यह कला जल्‍द ही खत्‍म हो जायेगी।


घूमने आया था तो लगे हाथ संस्‍थान में स्थित कैक्‍टस हाउस की तस्‍वीर भी खींच ली। आप कहहेंगे कि गुलाब और ग्‍लैडिओलस के साथ कैक्‍टस का क्‍या काम। लेकिन कैक्‍टस बड़े जीवट वाली वनस्‍पति है। यह वहां उगती है जहां सारी वनस्‍पतियां दम तोड़ देती हैं। इसकी जिजीविषा से हमें भी प्रेरणा लेनी चाहिए-


फूल पौधों के बीच परिवार संग छुटटी बिताने का मजा आ गया। मैं हमेशा ऐसे मौकों की तलाश में रहता हूँ। अगले महीने यानी फरवरी की 19 और 20 तारीख को लखनऊ में राजभवन में पुष्‍प एवं शाकभाजी प्रदर्शनी लग रही है। भई मैं तो जरूर जाउंगा देखने। फिक्र न करें, आप तक भी पहुचाउंगा उसकी झलकियां।