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रविवार, 19 जून 2011

गर्मी की छुट्टियां - कविता



गर्मी की छुट्टियां चल रहीं।
तन-मन में मस्‍ती मचल रही।
धमा-चौकड़ी करते दिन भर।
डॉट बड़ों की रहे बेअसर।
लूडो, कैरम, आई-स्‍पाई।
हॅसना, रोना, हाथापाई।
बैट-बॉल का नम्‍बर आया।
चौका-छक्‍का खूब जमाया।
पॉंच मिनट का ब्रेक लिया है।
तब ऑरेन्‍जी जूस पिया है।
खेल शुरू होगा दोबारा।
चाहे जितना तेज हो पारा।