मेला नहीं चुनाव है देख।
सत्ता का बदलाव है देख।
हर मत की कुछ कीमत है,
जाग्रति का फैलाव है देख।
हिचकोले खाता था देश,
अब आया ठहराव है देख।
खत्म एक युग होने को,
आया नया पड़ाव है देख।
लोकतंत्र की राहों में,
आया नया घुमाव है देख।
सत्ता का बदलाव है देख।
हर मत की कुछ कीमत है,
जाग्रति का फैलाव है देख।
हिचकोले खाता था देश,
अब आया ठहराव है देख।
खत्म एक युग होने को,
आया नया पड़ाव है देख।
लोकतंत्र की राहों में,
आया नया घुमाव है देख।