शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

पठान का सबक

एक बार एक अंग्रेज और एक पठान रेलगाड़ी के एक ही डिब्‍बे में साथ साथ यात्रा कर रहे थे। अंग्रेज को पठान के साथ यात्रा करने में घृणा का अनुभव हो रहा था, किन्‍तु वह विवश था। जब पठान लघुशंका निवारण के लिए गया, तो अंग्रेज ने उसका बिस्‍तर चलती गाड़ी से फेंक दिया। जब पठान वापस आया तो उसका सामान नदारद था। उसने अंग्रेज से अपने सामान के बारे में पूछा। अंग्रेज ने उसकी खिल्‍ली उड़ाते हुए कहा, ''तुम्‍हारा सामान गाड़ी से बाहर टहलने गया है। अभी वापस आ जायेगा।'' पठान सारा माजरा समझ गया, पर वह बोला कुछ नहीं। कुछ देर बाद अंग्रेज सो गया। तब पठान ने उसका सूटकेस उठाकर गाड़ी से बाहर फेंक दिया। कुछ समय बाद जब अंग्रेज की नींद खुली, तो उसने अपना सूटकेस न पाकर पठान से पूछा, ''मेरा सूटकेस कहॉं है  पठान ने उत्‍तर दिया, ''तुम्‍हारा सूटकेस मेरा बिस्‍तर लाने गया है।''

2 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

अच्छा सबक दिया. आज भी इस की आवश्यकता है.

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

जैसे तो तैसा .....सही जबाब .