शुक्रवार को मेरे बच्चों के स्कूल में गर्मी की छुट्टियों की घोषणा हो गई। छुट्टी क्या हुई, बच्चों के मन में लड्डू फूटने लगे। शाम को ऑफिस से घर पहुँचने पर पता चला कि हमारे सात वर्षीय साहबजादे ने, जो कि मुझसे खुलकर बात करने में डरते हैं, हमारी श्रीमती जी के पास हमारे लिए एक मैसेज छोड़ रखा है। वह मैसेज यह था: 'पापा से कह देना, अब छुट्टियां शुरू हो गई हैं, इसलिए कल से मुझे सुबह जल्दी जगा कर परेशान न किया करें।' यह मैसेज सुनकर मुझे समझ में आया कि आजकल स्कूली बच्चों के लिए गर्मी की छुट्टियों का क्या महत्व है। साल भर स्कूल की पढ़ाई के बोझ और अभिभावकों की डॉंट फटकार से वैसे ही गुमसुम रहते हैं, गर्मी की छुट्टियां ही तो उनके लिए आजादी की हवा का झोंका लेकर आती हैं। लेकिन जब बच्चों की स्कूल डायरी चेक की, तो मेरे मन में भी बच्चों के लिए दया उमड़ आई। गर्मी की छुट्टियों के लिए इतना होमवर्क दे दिया गया था कि बच्चों को जो अभी आजादी लग रही थी, उसकी खुशी भी छिनने वाली थी। उन्होंने तो खुशी में ध्यान ही नहीं दिया था कि उन्हें कितना ज्यादा होमवर्क मिला है। दरअसल यह होमवर्क सिर्फ उन्हें ही नहीं मिला, हमें यानी उनके अभिभावकों को भी मिला है। अब चाहे इसे समर कैम्प की एक्टिविटी कहें या कुछ और, होमवर्क तो कराना ही है। आखिर बच्चों को अच्छे ग्रेड्स जो दिलाने हैं। तो भइया, जो घूमने का प्रोग्राम बन रहा था गर्मी में, उसमें भी कटौती करनी पड़ेगी। बच्चे नाना-नानी के घर जाने वाले हैं, उस पीरियड में भी कटौती करनी होगी। आखिर स्कूल से मिले होमवर्क का सवाल है।
3 टिप्पणियां:
भाई इस बार गर्मी जोरों की पड़ रही है। सारी छ़टिटयां घर के अंदर ही बितानी पड़ेंगी।
बहुत सही लिखा है |आज कल स्कूल और होमवर्क के कारण बच्चे बच्चे नहीं रहे मशीन हो कर रह गए है |बचपन उनका छिन गया है |
http://uchcharan.blogspot.in/2015/02/blog-post_4.html
एक टिप्पणी भेजें