तुमसे मिलने के बहाने तलाशने होंगे।
फिर से वो ठौर सुहाने
तलाशने होंगे।
हमारी आशिकी परवान चढ़ी
थी जिनसे,
तमाम ख़त वो पुराने तलाशने
होंगे।
हमारे दरमियां क्यूँ
सर्द सी खामोशी है,
हमको इस दूरी के माने
तलाशने होंगे।
शुरू हो दौर फिर से
गुफ्तगू का मेरे सनम,
हमें कुछ ऐसे फ़साने
तलाशने होंगे।
सफ़र के बीच हमें छोड़ के
जो चल दोगे,
उदास दिल को मयख़ाने
तलाशने होंगे।
2 टिप्पणियां:
क्या बात है. बहुत खूब.......
बहुत सुन्दर...उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@आंधियाँ भी चले और दिया भी जले
एक टिप्पणी भेजें