सोमवार, 12 दिसंबर 2011

अगर कहीं मैं अपने घर में

पापा मुझ पर धौंस जमाते, 
''होमवर्क निपटाओ।'' 
मम्‍मी मुझको डॉंट पिलातीं,
''दूध गटक पी जाओ।'' 
दादी कहतीं, ''गिर जाओगे, 
दौड-भाग मत करना।'' 
दीदी कहतीं, ''मत चिल्‍लाओ, 
मुझको तो है पढना।'' 
अगर कहीं मैं अपने घर में, 
बडा सभी से होता। 
सब पर अपना हुक्‍म चलाता,
चैन की निंदिया सोता।

16 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

Niragas,pyari rachana!

अनूप शुक्ल ने कहा…

वाह! क्या बात है! क्या मासूम अरमान हैं। :)

रश्मि प्रभा... ने कहा…

sab tumhare bhale ke liye hai babu, bade hone per aap bhi yahi karenge

Pallavi saxena ने कहा…

har kisi ko yahi lagta hai...:)sundar bhavmayi rachnaa समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

हाँ ऐसा ही होता है हम बच्चों के साथ..... बड़ी प्यारी कविता है .....

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर बाल रचना

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

यह तो सुन्दर और सत्य इच्छा है बालक की..

rashmi ravija ने कहा…

बहुत ही मासूम सी कविता.... जैसे सब बच्चों के दिल कि बात...:)

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर और शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

virendra sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर बाल गीत कोमल मन की बात सरल शब्दों में व्यक्त करता बतियाता बधाई .

vikas 'Bharti' ने कहा…

मासूम भावनाओ का मासूम उदगार, वाह!क्या कहना

ZEAL ने कहा…

innocent imagination...

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

वाह, बढि़या बालगीत।
बच्चे जल्दी बड़ा हो जाना चाहते हैं, इस तथ्य को आपने बखूबी पहचाना है।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

सुंदर हुक्म चलाती बढ़िया रचना,...अच्छी लगी

मेरी नई पोस्ट के लिए काव्यान्जलि मे click करे

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत ही मासूम सी बाल रचना|

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

bahut sundar bal kavita hai..