गूगल चित्र से साभार |
हजारों मील हर दिन नापता हूँ।
कभी कायम, कभी मैं लापता हूँ।।
मैं सपनों का उमड़ता इक भँवर हूँ,
तरक्की या तबाही का पता हूँ।
है किसमें कितनी हिम्मत, कितनी कुव्वत,
मैं सबको तोलता हूॅं, भॉंपता हूँ।
मैं कातिल हूँ, लुटेरा हूँ, गदर हूँ,
कहर बन सबके दिल में कॉंपता हूँ।
धुऑं हूँ, शोरगुल हूँ, जिस्म-ओ-जॉं तक,
शहर बीमार हूँ मैं, हॉंफता हूँ।
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