यह न समझ अनजान हैं लोग
चुप हैं, नहीं बेजान हैं लोग
इनको हाँक न पाओगे,
ढोर नहीं, इंसान हैं लोग
कौड़ी में बिक जाएंगे,
इतने बेईमान हैं लोग?
आपस में लड़वाओगे,
क्या समझे, हैवान हैं लोग?
नज़रें तुमको परख रहीं ,
चौकी नहीं, मचान हैं लोग
लोगों की ही बात करो,
भीड़ नहीं, भगवान् हैं लोग