यह संयोग की बात है कि मेरी पिछली पोस्ट 31 जुलाई को प्रकाशित हुई और आज 31 अगस्त को में वापस ब्लॉग पर आ रहा हूँ। इतने दिन ब्लॉग से अनुपस्थित रहने का कारण बहुत ही खुशनुमा है। दरअसल 1 अगस्त को सुबह 8;56 बजे मैं एक नन्हीं सी प्यारी सी बेटी का पिता बन गया। यह सौभाग्य मुझे दूसरी बार मिला है। इससे पहले यह खुशी 28 अप्रैल 2008 को आई थी जब मुझे एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी। जन्म लेने के बाद से ही नवजात शिशु को लेकर जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। चूँकि सीजेरियन आपरेशन से पत्नी का प्रसव हुआ था, इसलिए जिम्मेदारियां और भी बढ़ गयीं। फिलहाल मैं तो एक नन्हीं परी का पिता होने का सुख उठा रहा हूँ, लेकिन साथ ही एक दूसरी समस्या भी खड़ी हो गयी है। मेरा तीन वर्षीय बेटा अपने को अलग-थलग महसूस करने लगा है और कुछ चिडचिडा भी हो गया है। इसलिए दो-दो बच्चों को एक साथ संभालना पड़ता है। लेकिन इसी का नाम तो जिन्दगी है, थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी। जल्द ही ब्लॉग पर जोश के साथ वापस लौटूँगा। तब तक आप नीचे मेरी नन्हीं परी की तस्वीर देखिये और बताइये कैसी लगी।
रिमझिम लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रिमझिम लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
बुधवार, 31 अगस्त 2011
मेरे घर आई एक नन्हीं परी
लेबल:
घनश्याम मौर्य,
नन्हीं परी,
रिमझिम,
विविध,
विविधा
रविवार, 31 जुलाई 2011
बरखा रानी
गूगल इमेज से साभार |
गरज उठी घनघोर घटाएं, रिमझिम बारिश आई।
सोंधी महक उठी मिट्टी की, प्यासी धरा जुड़ाई।
ताल-पोखरे बने समुन्दर, नदिया भी बलखाई।
चमक उठे मोती मक्के के, बेर-बेर गदराई।
बाग-बगीचे, सड़कें, गलियां, बारिश ने धो डालीं।
कागज की नावें बच्चों ने, पानी में तैरा लीं।
पंख पसारे मोर नाचता, देख मोरनी आई।
टर्र-टर्र मेंढक की गूँजें, पड़ने लगीं सुनाई।
इन्द्रधनुष छा गया गगन में, लाल, बैंगनी, पीला।
हरा, आसमानी नारंगी, सुन्दर नीला-नीला।
बरखा रानी नये बरस तुम, इसी तरह फिर आना।
पशु पक्षी इंसान सभी को, जी भर कर नहलाना।
लेबल:
कविता,
काव्य जगत,
नदिया,
बारिश,
मेंढक,
मेरा काव्य,
मोर,
रिमझिम,
समुन्दर
सदस्यता लें
संदेश (Atom)